Gayatri Mantra: यदि पाना चाहते हैं सुख-समृद्धि तो जानें गायत्री मंत्र का साधना का नियम व् लाभ

दुनिया के सबसे महान ऋषि मुनियों और शास्त्रों के अनुसार Gayatri Mantra को सबसे उत्तम और सर्वश्रेष्ठ माना गया है वैसे तो इस मंत्र का जाप करना हिन्दुओं के लिए प्रचलित है लेकिन अन्य धर्म के लोग भी इस मंत्र के बारे में अच्छी तरह से जानते और जाप करते हैं।

गायत्री मंत्र तीनों देव ब्रह्मा, विष्णु और महेश का सार है। गीता में भगवान ने स्वयं कहा है ‘गायत्री छन्दसामहम’ अर्थात गायत्री मंत्र मैं स्वयं ही हूँ इस वजह से शास्त्रों में Gayatri Mantra को अति शक्तिशाली बताया गया है और ये मंत्र अन्य कई मंत्रों से ज्यादा प्रभावशाली भी है।

Gayatri Mantra की उत्पत्ति कहां से हुई ?

आपको बता दें कि जो हम गायत्री मंत्र पढ़ते हैं उस गायत्री मंत्र में 24 अक्षर होते हैं जो वाल्मीकि रामायण के 24000 श्लोकों से निकली हुई है, रामायण के हर एक हज़ार श्लोक के बाद आने वाले पहले अक्षर से गायत्री मंत्र बनता है. इस गायत्री मंत्र का वर्णन सबसे पहले ऋग्वेद में किया गया था

गायत्री मंत्र में सावित्री देवी की उपासना की जाती है, इसीलिए इसे सावित्री मंत्र भी कहा जाता है। ऐसा माना गया है, कि इस मंत्र के उच्चारण करने से ईश्वर की प्राप्ति होती है।

गायत्री मंत्र और उसका अर्थ


भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्।।

अर्थात – हम ईश्वर की महिमा का गुणगान करते हैं जो पूजनीय है जिसने इस संसार को उत्पन्न किया है जो ज्ञान का भंडार है जो पापों को तथा अज्ञान को दूर करने वाला है जो प्राण स्वरूप, देवस्वरूप, पापनाशक, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, तेजस्वी, श्रेष्ठ परमात्मा को हम अपने ह्रदय में धारण करते हैं वह हमारा मार्गदर्शन करे और हमें सत्य पथ पर ले जाए।

साधना के नियम

यह सुनिश्चित नहीं किया गया है की इस मंत्र को किसी एक समय पर ही जाप करना चाहिए। लेकिन फिर भी इस मंत्र का जाप एक समय और नियम के अनुसार किया जाए तो यह मंत्र लाभकारी सिद्ध होगा जिससे आपकी हर समस्या नष्ट हो जाएगी।

गायत्री मंत्र को साधना करने से पहले स्नान आदि से शुद्ध होकर, कुश के आसन बिछाकर, पास में जल तथा धूपबत्ती जलाकर रख लेनी चाहिए। क्यूंकि जल और अग्नि को साक्षी रूप में समीप रखकर जप करना उत्तम है। सुबह में आसन पर पूर्व की ओर मुँह करके और शाम में पश्चिम की ओर मुँह करके बैठना चाहिए

हिन्दू धर्म ग्रंथो के अनुसार Gayatri Mantra जाप के तीन समय सबसे अच्छे बताए गए हैं. पहला सूर्य के उदय से पूर्व से लेकर सूर्य के उदय होने तक का समय सबसे सर्वश्रेष्ठ है. दूसरा समय दोपहर और तीसरा समय शाम को सूर्य के डूबने से पहले इसका जाप शुरू करें और सूर्य के डूबने तक करें, लेकिन सूर्य के डूबने के बाद इसका उच्चारण नहीं करना चाहिए।

गायत्री माँ की पूजन करते समय उनका तस्वीर का पूजन अभिवादन या ध्यान करना चाहिए और जप इस प्रकार करना चाहिए की पास बैठा हुआ भी दूसरा मनुष्य उसे स्पष्ट रूप से सुन और समझ ना पाए।

हाथ में तुलसी या चंदन की माला लेकर तर्जनी उंगली से माला को स्पर्श करना चाहिए और कम से कम 108 बार मंत्र जपने चाहिए। जप पूरा होने पर पास में रखे हुए जल को सूर्य के सामने चढ़ा देना चाहिए। रविवार गायत्री का दिन है, उस दिन उपवास या हवन हो सके तो उत्तम है।

Gayatri Mantra बहुत ही लाभकारी मंत्र है और ये मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को Mantle Piece यानि मानसिक शांति के साथ जीवन में खुशियों का संचार होता है।

गायत्री मंत्र अमूल्य लाभ

यदि Gayatri Mantra को शास्त्रों के अनुसार अच्छे तरीके से नियमित जाप किया जाए तो अप्रसन्ता, असंतोष और ग़ुस्सा शांत होता है और व्यक्ति को तनाव और चिंता जैसी समस्याओं से मुक्ति मिलती है।

इस मंत्र के उच्चारण से कुंडली में भी सूर्य की स्थिति बेहतर होती है और करियर ग्रोथ अच्छी होती है. देश और दुनिया में मान सम्मान बढ़ता है. नकारात्मकता दूर होती है और सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है. एकाग्रता बढ़ती है और जीवन की हर समस्या का समाधान मिल जाता है।

समस्त धर्म ग्रंथों में गायत्री मंत्र की महिमा एक स्वर में कही गयी है और ये मंत्र सर्वश्रेष्ठ एवं सर्वोत्तम मंत्र है। जो कार्य संसार में किसी अन्य मंत्र से हो सकता है, वह इस मंत्र से भी अवश्य हो सकता है। किसी साधना में भूल हो जाने पर अनिष्ट हो जाता है लेकिन इस साधना में कोई भूल रहने पर भी किसी का अनिष्ट नहीं होता, इससे सरल और शीघ्र फल स्वरूप साधना दूसरा कोई नहीं है।

गायत्री मंत्र से जुड़े 21 रोचक तथ्य

1 विद्यार्थियों अगर गायत्री मंत्र को प्रतिदिन 108 बार जाप करते हैं तो इनको को हर प्रकार की ज्ञान अर्जित करने में आसानी होती है। और पढ़ाई करने में भी मन लगने लगता है और सिर्फ एक बार में ही पढ़ा हुआ सब याद हो जाता है।

2 Gayatri Mantra के उच्चारण करने से मन को शांत करने के साथ ही नकारात्मकता को दूर करने में भी मदद मिलती है.
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3 गायत्री मंत्र में इतनी शक्ति है कि नियमित तीन बार जप करने वाले व्यक्ति के आस-पास नकारात्मक शक्तियां, भूत-प्रेत और ऊपरी बाधाएं नहीं फटकती।

4 Gayatri Mantra का जप सूर्य के उदय से दो घंटे पूर्व से लेकर सूर्य कके डूबने के एक घंटे बाद तक किया जा सकता है। लेकिन रात्रि में गायत्री मंत्र का जप भूल कर नहीं नहीं करना चाहिए।

5 इस मंत्र के जप से स्मरण शक्ति यानी याद करने की क्षमता और इंटेलेक्चुअल एबिलिटी यानि बौद्धिक क्षमता बढ़ती है। इससे इंसान का तेज बढ़ता है और साथ ही दुःखों से मुक्ति मिलती है।

6 Gayatri Mantra का जप करने से व्यक्ति के जीवन में शुद्धता और पवित्रता तो आती ही है। इसके साथ सभी दोषों का नाश भी हो जाता है।

7 इस मंत्र का जप करने से बडी‍-बडी सिद्धियां मिल जाती हैं। यह मंत्र छोटा है, पर इसकी शक्ति भारी है

8 इस मंत्र का नियमित जप करने से घर में शांति, समृद्धि और प्रेम बनी रहती है। जिससे घर में खुशहाली का माहौल हमेशा बना रहता है।

9 प्रतिदिन स्थाई मन और शान्त हृदय से किया हुआ गायत्री मंत्र का जप आपत्तिकाल के संकटों को दूर करता है, रोगियों को स्वस्थ बनाता है और अपने भीतर आत्मा के उन्नति के लिए उपयोगी भी है।

10 भारतवर्ष को जगाने वाला गायत्री मंत्र इतना सरल मंत्र है कि ऐक ही श्वास में उसका उच्चारण किया जा सकता है। ।

11 प्रतिदिन एक माला Gayatri Mantra जप करने से गलत कामो से ध्यान हटता हैं। शरीर को अत्यधिक खुशी मिलती है।

12 Gayatri Mantra का जप व्यक्ति को संसारिक जीवन से मुक्ति की ओर अग्रसर करता है, और उसे परमात्मा की ओर ले जाता है।

13 हमारे ऋषियों ने जो अनमोल रत्न हमें दिये हैं उनमें से एक अनोखा रत्न गायत्री मंत्र है। जिसके जप करने से बुद्धि पवित्र होती है। प्रभु का प्रकाश आत्मा में आता है और जीवन सुःख में तब्दील हो जाता है

14 इस मंत्र को हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण मंत्र है और इसका महत्व वेदों में बताया गया है। इस मंत्र का जप करने से बुद्धि, ज्ञान, और आत्मा के साथ-साथ शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में भी लाभ होता है।

15 कभी भी रात में गायत्री मंत्र का जप लाभकारी नहीं होता है। उल्टे इसका मिल सकता है कोई गलत परिणाम इसलिए यह गलती भूलकर भी न करें। रात्रि काल में गायत्री मंत्र बिलकुल न जपें।

16 जब भी थकान, मुसीबत में फँस गये हो, तो गायत्री मंत्र का जप स्वर या मन में शुरू कर दो। उस समस्या का समाधान तुरन्त हो जायेगा।

17 सूर्योदय से पहले इस मंत्र पाठ करने से मन शुद्ध होता है, हृदय में पवित्रता आती है और शरीर हमेशा निरोग रहता है ।

18 इस मंत्र के जप से व्यक्ति के Spiritual Growth यानि आध्यात्मिक विकास और आंतरिक साधना में सहायता मिलती है।

19 भारत के सभी अवतारी महापुरुषों ने गायत्री मंत्र का जप किया है। जैसे – भगवान राम, कृष्ण, सभी ऋषि-मुनियों इत्यादि।

20 इस मंत्र को दुनिया का सबसे शक्तिशाली मंत्र मन गया हैं। जिस भी मनुष्य ने गायत्री और यज्ञ को जीवन में उतार दिया, उसका जीवन सफल है।

21 Gayatri Mantra को ऋषि-मुनियों ने भौतिक जगत में हर प्रकार की मनोकामना को पूर्ण करने वाला मंत्र बताया है। क्यूंकि गायत्री मंत्र में 24 अक्षर होते हैं। और ये 24 अक्षर 24 शक्तियों सिद्धियों के प्रतीक हैं।

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FAQ

Q गायत्री मंत्र की उत्पत्ति कहां से हुई ?

Ans – आपको बता दें कि जो हम गायत्री मंत्र पढ़ते हैं उस गायत्री मंत्र में 24 अक्षर होते हैं जो वाल्मीकि रामायण के 24000 श्लोकों से निकली हुई है, रामायण के हर एक हज़ार श्लोक के बाद आने वाले पहले अक्षर से गायत्री मंत्र बनता है. इस गायत्री मंत्र का वर्णन सबसे पहले ऋग्वेद में किया गया था, गायत्री मंत्र में सावित्री देवी की उपासना की जाती है, इसीलिए इसे सावित्री मंत्र भी कहा जाता है।

Q. गायत्री मंत्र अर्थ क्या है ?

Ans – हम ईश्वर की महिमा का गुणगान करते हैं जो पूजनीय है जिसने इस संसार को उत्पन्न किया है जो ज्ञान का भंडार है जो पापों को तथा अज्ञान को दूर करने वाला है जो प्राण स्वरूप, देवस्वरूप, पापनाशक, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, तेजस्वी, श्रेष्ठ परमात्मा को हम अपने ह्रदय में धारण करते हैं वह हमारा मार्गदर्शन करे और हमें सत्य पथ पर ले जाए।

Q. गायत्री मंत्र अमूल्य लाभ क्या है ?

Ans – यदि गायत्री मंत्र को शास्त्रों के अनुसार अच्छे तरीके से नियमित जाप किया जाए तो अप्रसन्ता, असंतोष और ग़ुस्सा शांत होता है और व्यक्ति को तनाव और चिंता जैसी समस्याओं से मुक्ति मिलती है।

Q. गायत्री मंत्र पूजन-पाठन कैसे करें ?

Ans – ऊपर दिए गए साधना के नियन को पढ़ें उसमे विस्तार से पूजन-पाठन करने का नियम पटाया गया है।

Q. गायत्री मंत्र के बोल क्या है ?

Ans – ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।।

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